बंद कमरा : प्यार और रिस्तों को समझाती हिन्दी कहानी

बंद कमरा 

This story is a part of the book 'Jivan Ki Or' which is copyright protected and available to buy form here 
(यह कहानी हिन्दी किताब 'जीवन की ओर' से ली गई है जो की कॉपी राइट है, ऐसी ही ओर कहानियों के लिए आप इस किताब को यहाँ से पा सकते हैं )

‘मुझे आपसे मिले बिना अब रहा नहीं जा रहा है, कुछ भी करके एक बार मिल लो न’ अंकिता ने फोन  पर रुद्र से प्यार से कहा तो रुद्र ने भी जवाब दिया ‘अंकिता जी! मिलने का तो मेरा भी बहुत दिल है लेकिन अपने बीच की दूरी इतनी ज्यादा है की हमें थोड़ा समय और लगेगा इस दूरी को खत्म करने में, बस थोड़े पैसे और जमा कर लूँ फिर मिलते हैं’

‘मुझे आपका इंतजार है!’ अंकिता ने उदासी भरे स्वर में कहा ।




वो दोनों काफी लंबे समय से प्रेम में थे लेकिन उनकी समस्या यह थी की वो दोनों एक – दूसरे से काफी दूरी पर रहते थे और वो आजतक मिल भी नहीं सके थे क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे की वो उस दूरी को पार करके मिल पाएं । रुद्र पढ़ाई के साथ – साथ नौकरी भी करता और पैसे जमा करता था ताकि वह जल्दी ही अंकिता की मिलने की इच्छा को पूरी कर सके । विश्वास और प्यार वो दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा करते थे और एक दूसरे से बाते किए बिना उनका एक दिन भी नहीं गुजरता था, बेसक उन दोनों ने एक – दूसरे को देखा नहीं था और ना ही कभी मिले थे ।  

रुद्र की मेहनत रंग लाई और कुछ ही दिन में उसने इतने पैसे जमा कर लिए की वो दोनों एक बार किसी होटल में मिल सकें । अपने जमा पैसे गिनने के बाद रुद्र की खुशी का ठिकाना नहीं रहा , वो इतना खुश हुआ मानो उसने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली हो ।

उसने तुरंत अंकिता को फोन किया ‘अंकिता जी ! हमारा इंतजार अब खत्म हुआ, मैं कल ही आपसे मिलने के लिए निकाल रहा हूँ’

‘आप सच बोल रहे हो ना?’ अंकिता को विश्वास नहीं हो रहा था की वो दोनों जल्द मिलने वाले थे ।

‘हाँ जी , बिल्कुल सच बोल रहा हूँ और दो दिन के सफर के बाद आप हमें अपने पास पाओगी!’ रुद्र के चेहरे पर उसकी खुशी साफ – साफ दिखाई दे रही थी ।

वो दोनों मिलने के लिए बहुत उत्सुक थे और उनकी खुशी इतनी ज्यादा थी की वो दोनों ही जाहीर नहीं कर पा रहे थे । उन दोनों के मन में अलग – अलग ख्याल आ रहे थे की जब हम मिलेंगे तो ऐसे कपड़े पहनेगे , ऐसे बाते करेंगे , वहाँ चलेंगे आदि ।

अगले ही दिन रुद्र ने अपना सफर शुरू कर दिया और दो दिन के सफर के बाद वो दोनों पहली बार मिले । एक दूसरे को देखते ही वो दोनों दौड़ पड़े और एक – दूसरे को अपनी बाहों में समेट लिया । उन दोनों की आँखों में पानी था और चेहरे पर उनके मिलने की खुशी झलक रही थी ।

‘चलिए अंकित जी अभी कुछ खाना खा लिया जाए’ रुद्र ने अंकिता के आँसू पोंछते हुआ कहा ।

‘अपने कमरे पर चलते हैं, मैं खाना घर से लेकर आई हूँ’ अंकिता ने अपने हाथ में पकड़े हुए खाने के टिफन को रुद्र की ओर करते हुए कहा ।

‘घर से ही खाना लेकर आई हो .. ये तो आपने बहुत अच्छा किया’ रुद्र ने अंकिता की तारीफ करते हुए कहा ।

‘जी हाँ जनाब घर से ही खाना लेकर आई हूँ क्योंकि मैं जानती हूँ आपके पास इतने ही पैसे थे की किराया और कमरे का खर्च दिया जा सके, रास्ते में आपने कुछ नहीं खाया ना दो दिन से?’ अंकिता ने रुद्र की आँखों में प्यार से देखते हुए पूछा तो इसपे रुद्र हल्का – सा हँसकर उसे अपने साथ उस कमरे में ले गया जो उसने उसी होटल में बुक किया था ।

उस दिन अंकिता का जन्मदिन था , उन दोनों ने मिलकर अंकिता का जन्मदिन अच्छे से मनाया और दोनों ने ढेर सारी बातें की । वो दिन उन दोनों की जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था और उस दिन उन दोनों ने एक दूसरे को जी भरके देखा । लेकिन उन दोनों की यह खुशी ज्यादा देर नहीं चलने वाली थी, जैसे – जैसे शाम हो रही थी उन दोनों को जुदा होने का गम सताने लगा था ।

शाम हुई और रुद्र के लौट जाने का समय भी पास आ गया । 

अंकिता के मन में काफी देर से एक सवाल आ रहा था, जब वो दोनों होटल से बाहर आ गए तो उससे रहा नहीं गया और उसने रुद्र से पूछा ‘आपसे एक बात पूछूँ?’

‘हाँ बोलो क्या बात है जी’ रुद्र ने रुककर अंकिता की ओर देखते हुए कहा ।

‘आप इतनी दूर से , इतना पैसा खर्च करके मुझसे मिलने आए और आपने वो सब नहीं किया जैसा और लड़के – लड़की एक बंद कमरे में करते हैं जबकि मैं आपको रोकी भी नहीं’ अंकिता ने अपना सवाल किया तो रुद्र ने उसे अपने गले से लगा लिया और बोला ‘मेरी जान अगर मुझे जिस्म चाहिए होता तो मैं यहाँ कभी नहीं आता तुमसे मिलने क्योंकि पैसों में जिस्म बहुत मिलते हैं, मैं आपसे प्यार करता हूँ , फिक्र है आपकी इसीलिए अभी मैं आपके साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकता क्योंकि अगर हम एक ना हो सके तो आपकी इज्जत पर बात नहीं आएगी.. आपकी इज्जत तो सलामत रहेगी और आपको उस समय यही लगेगा की आपके साथ कुछ गलत नहीं हुआ है और फिर आप आगे बढ़ सकोगी और फिर आपके परिवार की इज्जत हो आप .. ये सब करेंगे एक बार सब कुछ ठीक हो जाए और हमें अपने माता – पिता की सहमति मिल जाए ,  और वैसे भी प्यार दिल से होता है जिस्म से नहीं .. आपको सामने देख कर बहुत अच्छा लगा और आपसे बातें करके दिल को सुकून मिला और वो सब तो हम शादी के बाद कर लेंगे लेकिन फिलहाल आपके साथ कुछ गलत नहीं होने दूंगा जिससे आपकी इज्जत पर बात आए । मेरी जान तुम बहुत प्यारी हो और मैं..’

यह सब सुनकर अंकिता की आँखों में आँसू आ गए और वह रुद्र की बात काटते हुए बोली ‘मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे मेरा सच्चा प्यार करने वाला मिल गया .. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ .. मर जाऊँगी आपके बिना .. मुझे कभी छोड़ कर मत जाना यार आई लव यू’

इतना कहकर अंकिता ने रुद्र को जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया ।

‘खुशनसीब तो मैं हूँ जो मुझे इतनी प्यारी जान मिली है जो मुझे इतना प्यार करती है .. और आपको छोड़कर जाना तो दूर मैं इस बारे में सोचता भी नहीं हूँ’ रुद्र के इतना बोलते ही दोनों एक – दूसरे से लिपट कर रोने लगे ।

जिस्म के भूखे मिलेंगे बहुत , मिलेंगे प्यार करने वाले कम । सच्चे प्यार की परख इसी से होती है की भूख जिस्म की है या तलब है आपको हँसते हुए देखने की ।

ऐसी ही ओर कहानियों के लिए आप 'जीवन की ओर'  किताब को पढ़ें । 


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