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पत्नी को पहला थप्पड़ : Short Hindi Story

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पत्नी को पहला थप्पड़ This story is a part of the book ' Jivan Ki Or ' which is copyright protected and available to buy form  here   (यह कहानी हिन्दी किताब ' जीवन की ओर ' से ली गई है जो की कॉपी राइट है, ऐसी ही ओर कहानियों के लिए आप इस किताब को  यहाँ  से पा सकते हैं ) सभी ने साथ बैठकर खाना खाया और उसके बाद सभी अपने – अपने कमरे में आराम करने चले गए । अंकिता अपने कमरे में जाकर लेटी ही थी की उसे कुछ आवाजें सुनाई देने लगी । ये आवाजें उनके बेटे और बहु के कमरे से आ रही थीं । अंकिता को लगा की उसका बेटा और बहु शायद मजाक करके हंस रहे हैं लेकिन दूसरे ही पल अंकिता को लगने लगा की उन दोनों के बीच कोई छोटी – मोटी नोक – झोंक हो गई होगी । धीरे – धीरे उन दोनों की आवाजें तेज होने लगी ।  अंकिता सोच में पड़ गई की उन दोनों के बीच बोले या नहीं क्योंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था की उसके बेटे और बहु में कोई तकरार हुई हो। आवाजें धीरे – धीरे इतनी तेज हो गई की अंकिता से रहा नहीं गया और वह उठकर धीरे – धीरे उनके कमरे की ओर बढ़ने लगी। प्रिया की तीखी आवाजें कमरे से बाहर तक आ रही थी और संदीप की ...

पैसा पेंसिल और खिलौना : भावात्मक हिन्दी कहानी

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पैसा पेंसिल और खिलौना : हिन्दी कहानी  This story is a part of the book ' Jivan Ki Or ' which is copyright protected and available to buy form  here   (यह कहानी हिन्दी किताब ' जीवन की ओर ' से ली गई है जो की कॉपी राइट है, ऐसी ही ओर कहानियों के लिए आप इस किताब को  यहाँ  से पा सकते हैं ) मीना अब बड़ी हो चुकी थी , करीब – करीब 18 साल की और वह काफी समझदार भी थी । वह अपने पापा की लाड़ली थी और वह भी अपने पापा से बेहद प्यार करती थी । वह शांत स्वभाव और चंचल मन की लड़की थी और उसे अपने माता – पिता के साथ समय बिताना सबसे ज्यादा प्रिय था इसीलिए वह कभी भी अपने माता – पिता के साथ समय बिताने का कोई भी कोई मौका नहीं चुकती थी । मीना का एक बड़ा भाई भी था जिसका नाम था राहुल , राहुल को दोस्तों के साथ घूमना बहुत पसंद था और वह अकसर अपने पिता से पैसे माँग कर अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता था । राहुल तीन दिन से अपने दोस्तों के साथ घूमने गया हुआ था और वह आज घर आने वाला था इसलिए मीना के माता – पिता आँगन में बैठे दो घंटे से बाते करते हुए उसका इंतजार कर रहे थे और मीना खाना बनाने में वयस्थ थ...

बंद कमरा : प्यार और रिस्तों को समझाती हिन्दी कहानी

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बंद कमरा  This story is a part of the book ' Jivan Ki Or ' which is copyright protected and available to buy form here   (यह कहानी हिन्दी किताब ' जीवन की ओर ' से ली गई है जो की कॉपी राइट है, ऐसी ही ओर कहानियों के लिए आप इस किताब को यहाँ से पा सकते हैं ) ‘मुझे आपसे मिले बिना अब रहा नहीं जा रहा है, कुछ भी करके एक बार मिल लो न’ अंकिता ने फोन  पर रुद्र से प्यार से कहा तो रुद्र ने भी जवाब दिया ‘अंकिता जी! मिलने का तो मेरा भी बहुत दिल है लेकिन अपने बीच की दूरी इतनी ज्यादा है की हमें थोड़ा समय और लगेगा इस दूरी को खत्म करने में, बस थोड़े पैसे और जमा कर लूँ फिर मिलते हैं’ ‘मुझे आपका इंतजार है!’ अंकिता ने उदासी भरे स्वर में कहा । वो दोनों काफी लंबे समय से प्रेम में थे लेकिन उनकी समस्या यह थी की वो दोनों एक – दूसरे से काफी दूरी पर रहते थे और वो आजतक मिल भी नहीं सके थे क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे की वो उस दूरी को पार करके मिल पाएं । रुद्र पढ़ाई के साथ – साथ नौकरी भी करता और पैसे जमा करता था ताकि वह जल्दी ही अंकिता की मिलने की इच्छा को पूरी कर सके । विश्वास और प्यार वो दोनों ए...

पति से कहासुनी (रिस्तों को समझाती एक आपबीती सच्ची कहानी )

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मेरे पति से थोड़ी कहासुनी हो गई थी । हालांकि गलती मेरी थी, मैंने उनकी माँ जी से तमीज से बात नहीं की जिसका अब मुझे ऐहशास है की मैं ही गलत थी । लेकिन माँ - बाप की लाड़ली थी न, इसीलिए वहाँ भी अपनी अकड़ चला रही थी, माँ जी बहुत अच्छी थीं उन्होंने तो मुझे माफ भी कर दिया था और कुछ कहा भी नहीं था लेकिन मेरे पति से वो सब बर्दाश्त नहीं हुआ ।  माँ जी हमेशा बिना माफी मांगे ही मुझे माफ कर दिया करती थी लेकिन मेरे पति को मेरा उनकी माँ से बतमीजी से बात करना बिल्कुल पसंद नहीं था और उसी कारण एक दिन झगड़ा हो गया । मुझे गुस्सा इसलिए आया था की माँ जी ने तो हमेशा की तरहा उस दिन भी मुझे बिना माफी मांगे ही माफ कर दिया था लेकिन मेरे पति अंकित तो जिद पर अड़े थे की मैं उनकी माँ से माफी मांगु। मैं बहुत जिद्दी थी , आज भी हूँ , माफी नहीं मांगी, अपने भाई को फोन कर दिया और अपने पिता के घर चली आई ।    ज्यादा कुछ नहीं बस छोटी -सी कहासुनी थी लेकिन जब मेरी माँ ने मेरी आँखों मेँ आँसू देखे तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने बिना पूरी बात पिता जी को बताए अंकित को फोन लगा कर काफी भला - बुरा कह दिया । जब पापा आए तो तो ...